Its aWsOmE !!
मैं और मेरी तन्हाई ,
अक्सर ये बातें किया करते हैं |
क्या होती ज़िन्दगी अगर ये होता ,
क्या होता अगर वो होता
बीत गयी कितनी रैना इसी कशमकश में ,
ये होता , वो होता तो क्या होता |
मैं और मेरी तन्हाई ,
अक्सर ये बातें किया करते हैं |
जो न होते कुछ लोग ,
तोह आज यू महरूम न होते
जो न होता तू ऐ खुद ,
तोह कब के टूट गये होते हम |
मैं और मेरी तन्हाई ,
अक्सर ये बातें किया करते हैं |
कुछ सपने संजोये है ,
हों वो गर पूरे तोह क्या बात होगी ,
यू होगा तोह क्या होगा !
मैं और मेरी तन्हाई ,
अक्सर ये बातें किया करते है |
इस अकेलेपन ने भी सिखाया हमें ,
की इस अस्थायी दुनिया में कुछ स्थायी नहीं |
हाँ मैं और मेरी तन्हाई,
अक्सर ये बातें किया करते हैं |
कोई अपना है तोह वोह सिर्फ हम खुद हैं !
लोग आते है , चले जाते है
कुछ मुस्कान तोह कुछ आंसू दे जाते हैं
और हम रह जाते हैं !
मैं और मेरी तन्हाई ,
अक्सर ये बातें किया करते हैं|
<ग़ज़ल > -मृदुल मक्कर
मैं और मेरी तन्हाई ,
अक्सर ये बातें किया करते हैं |
क्या होती ज़िन्दगी अगर ये होता ,
क्या होता अगर वो होता
बीत गयी कितनी रैना इसी कशमकश में ,
ये होता , वो होता तो क्या होता |
मैं और मेरी तन्हाई ,
अक्सर ये बातें किया करते हैं |
जो न होते कुछ लोग ,
तोह आज यू महरूम न होते
जो न होता तू ऐ खुद ,
तोह कब के टूट गये होते हम |
मैं और मेरी तन्हाई ,
अक्सर ये बातें किया करते हैं |
कुछ सपने संजोये है ,
हों वो गर पूरे तोह क्या बात होगी ,
यू होगा तोह क्या होगा !
मैं और मेरी तन्हाई ,
अक्सर ये बातें किया करते है |
इस अकेलेपन ने भी सिखाया हमें ,
की इस अस्थायी दुनिया में कुछ स्थायी नहीं |
हाँ मैं और मेरी तन्हाई,
अक्सर ये बातें किया करते हैं |
कोई अपना है तोह वोह सिर्फ हम खुद हैं !
लोग आते है , चले जाते है
कुछ मुस्कान तोह कुछ आंसू दे जाते हैं
और हम रह जाते हैं !
मैं और मेरी तन्हाई ,
अक्सर ये बातें किया करते हैं|
<ग़ज़ल > -मृदुल मक्कर